दुनिया को रौंदने का हुनर जानता हूँ मैं By Sher << अब ज़मीनों को बिछाए कि फ़... सितम तो ये है कि मैं ने उ... >> दुनिया को रौंदने का हुनर जानता हूँ मैं लेकिन ये सोचता हूँ कि दुनिया के बा'द क्या Share on: