दुनिया सबब-ए-शोरिश-ए-ग़म पूछ रही है By Sher << अपने बदन से लिपटा हुआ आदम... गुज़र रहा हूँ मैं सौदा-गर... >> दुनिया सबब-ए-शोरिश-ए-ग़म पूछ रही है इक मोहर-ए-ख़मोशी है कि होंटों पे लगी है Share on: