ऐ अहल-ए-वफ़ा दाद-ए-जफ़ा क्यूँ नहीं देते By Sher << जो कहता था ज़मीं को मैं स... बे-साया न हो जाए कहीं घर ... >> ऐ अहल-ए-वफ़ा दाद-ए-जफ़ा क्यूँ नहीं देते सोए हुए ज़ख़्मों को जगा क्यूँ नहीं देते Share on: