बे-साया न हो जाए कहीं घर मिरा यारब By Sher << ऐ अहल-ए-वफ़ा दाद-ए-जफ़ा क... मैं उसे सुब्ह न जानूँ जो ... >> बे-साया न हो जाए कहीं घर मिरा यारब कुछ दिन से मैं झुकता ये शजर देख रहा हूँ Share on: