ऐ दोस्त इस ज़मान-ओ-मकाँ के अज़ाब में By Sher << गर है दुनिया की तलब ज़ाहि... औरत हो तुम तो तुम पे मुना... >> ऐ दोस्त इस ज़मान-ओ-मकाँ के अज़ाब में दुश्मन है जो किसी को दुआ-ए-हयात दे Share on: