औरत हो तुम तो तुम पे मुनासिब है चुप रहो By Sher << ऐ दोस्त इस ज़मान-ओ-मकाँ क... अल्फ़ाज़ में बंद हैं मआनी >> औरत हो तुम तो तुम पे मुनासिब है चुप रहो ये बोल ख़ानदान की इज़्ज़त पे हर्फ़ है Share on: