ऐ फ़लक तुझ को क़सम है मिरी इस को न बुझा By Sher << मैं ने जो लिख दिया वो ख़ु... तनख़्वाह एक बोसा है तिस प... >> ऐ फ़लक तुझ को क़सम है मिरी इस को न बुझा कि ग़रीबों को चराग़-ए-शब-ए-तारीक है दिल Share on: