ऐ ख़ाक-ए-वतन अब तो वफ़ाओं का सिला दे By Sher << फ़िक्र-ए-मआश मातम-ए-दिल औ... उठे जाते हैं दीदा-वर सभी ... >> ऐ ख़ाक-ए-वतन अब तो वफ़ाओं का सिला दे मैं टूटती साँसों की फ़सीलों पे खड़ा हूँ Share on: