ऐ सबा चलती है क्यूँ इस दर्जा इतराई हुई By Sher << सवाद-ए-हिज्र में रक्खा हु... मेरे तीखे शेर की क़ीमत दु... >> ऐ सबा चलती है क्यूँ इस दर्जा इतराई हुई उड़ गई काफ़ूर बन बन कर हया आई हुई Share on: