इक अर्से बाद हुई खुल के गुफ़्तुगू उस से By Sher << बुतान-ए-सर्व-क़ामत की मोह... ब-वक़्त-ए-बोसा-ए-लब काश य... >> इक अर्से बाद हुई खुल के गुफ़्तुगू उस से इक अर्से बाद वो काँटा चुभा हुआ निकला Share on: