बुतान-ए-सर्व-क़ामत की मोहब्बत में न फल पाया By Sher << हिज्र के बा'द ये सोचो... इक अर्से बाद हुई खुल के ग... >> बुतान-ए-सर्व-क़ामत की मोहब्बत में न फल पाया रियाज़त जिन पे की बरसों वो नख़्ल-ए-बे-समर निकले Share on: