एक बोसे से मुराद-ए-दिल-ए-नाशाद तो दो By Sher << आग़ोश की हसरत को बस दिल ह... आज मौज़ू-ए-गुफ़्तुगू है ह... >> एक बोसे से मुराद-ए-दिल-ए-नाशाद तो दो कुछ न दो हाथ से पर मुँह से मिरी दाद तो दो Share on: