इक घर बना के कितने झमेलों में फँस गए By Sher << जलसों में ख़ल्वतों में ख़... मैं दिन को शब से भला क्यू... >> इक घर बना के कितने झमेलों में फँस गए कितना सुकून बे-सर-ओ-सामानियों में था Share on: