एक ही फूल था बस गुल-कदा-ए-हुस्न में तू By Sher << है 'आरफ़ी' अब ये ... दिल को तपिश-ए-शौक़ की ये ... >> एक ही फूल था बस गुल-कदा-ए-हुस्न में तू चुन लिया आँख में अपनी तिरे शैदाई ने Share on: