है 'आरफ़ी' अब ये असर-ए-तर्क-ए-तमन्ना By Sher << जितनी तवक़्क़ुआ'त थीं... एक ही फूल था बस गुल-कदा-ए... >> है 'आरफ़ी' अब ये असर-ए-तर्क-ए-तमन्ना आने लगे वो और भी कुछ हद से सिवा याद Share on: