एक झोंका इस तरह ज़ंजीर-ए-दर खड़का गया By Sher << कौन पुरसाँ है हाल-ए-बिस्म... एक दर्द-ए-जुदाई का ग़म क्... >> एक झोंका इस तरह ज़ंजीर-ए-दर खड़का गया मैं ये समझा भूलने वाले को मैं याद आ गया Share on: