एक झोंका तिरे पहलू का महकती हुई याद By Sher << कैसे किसी की याद हमें ज़ि... ग़ुर्बत की तेज़ आग पे अक्... >> एक झोंका तिरे पहलू का महकती हुई याद एक लम्हा तिरी दिलदारी का क्या क्या न बना Share on: