एक मंज़र है कि आँखों से सरकता ही नहीं By Sher << जिन पे नाज़ाँ थे ये ज़मीन... कृष्ण 'मोहन' ये भ... >> एक मंज़र है कि आँखों से सरकता ही नहीं एक साअ'त है कि सारी उम्र पर तारी हुई Share on: