एक मंज़र में लिपटे बदन के सिवा By Sher << वो जो एक बात थी गुफ़्तनी ... कोई समझाईयो यारो मिरा महब... >> एक मंज़र में लिपटे बदन के सिवा सर्द रातों में कुछ और दिखता नहीं Share on: