वो जो एक बात थी गुफ़्तनी वही एक बात शुनीदनी By Sher << हवा-ए-वहशत दिल ले उड़ी कह... एक मंज़र में लिपटे बदन के... >> वो जो एक बात थी गुफ़्तनी वही एक बात शुनीदनी जिसे मैं ने तुम से कहा नहीं जिसे तुम ने मुझ से सुना नहीं Share on: