इक शहंशाह ने बनवा के हसीं ताज-महल By Sher << ये इंतिज़ार सहर का था या ... तेरी आमद की मुंतज़िर आँखे... >> इक शहंशाह ने बनवा के हसीं ताज-महल सारी दुनिया को मोहब्बत की निशानी दी है Share on: