ये इंतिज़ार सहर का था या तुम्हारा था By Sher << मौत के दरिंदे में इक कशिश... इक शहंशाह ने बनवा के हसीं... >> ये इंतिज़ार सहर का था या तुम्हारा था दिया जलाया भी मैं ने दिया बुझाया भी Share on: