इक ये भी तो अंदाज़-ए-इलाज-ए-ग़म-ए-जाँ है By दर्द, चारागर, Sher << जबीं पर ख़ाक है ये किस के... बोसे अपने आरिज़-ए-गुलफ़ाम... >> इक ये भी तो अंदाज़-ए-इलाज-ए-ग़म-ए-जाँ है ऐ चारागरो दर्द बढ़ा क्यूँ नहीं देते Share on: