फ़ासला रख के भी क्या हासिल हुआ By Sher << कहानी है तो इतनी है फ़रेब... न जाने क्या लिखा था उस ने... >> फ़ासला रख के भी क्या हासिल हुआ आज भी उस का ही कहलाता हूँ मैं Share on: