न जाने क्या लिखा था उस ने दीवार-ए-बरहना पर By Sher << फ़ासला रख के भी क्या हासि... किस क़दर यादें उभर आई हैं... >> न जाने क्या लिखा था उस ने दीवार-ए-बरहना पर सलामत रह न पाई एक भी तहरीर पानी में Share on: