ख़ूब-रू आश्ना हैं 'फ़ाएज़' के By Sher << जश्न होता है वहाँ रात ढले अपने भी इश्क़ को ज़वाल न ... >> ख़ूब-रू आश्ना हैं 'फ़ाएज़' के मिल सभी राम राम करते हैं Share on: