जिन को छू कर कितने 'ज़ैदी' अपनी जान गँवा बैठे By Sher << ऐ मुसव्विर शिताब हो कि अभ... सीने के बीच 'साक़िब&#... >> जिन को छू कर कितने 'ज़ैदी' अपनी जान गँवा बैठे मेरे अहद की शहनाज़ों के जिस्म बड़े ज़हरीले थे Share on: