फैला हुआ है जिस्म में तन्हाइयों का ज़हर By Sher << कभी सय्याद का खटका है कभी... हम फ़रामोश की फ़रामोशी >> फैला हुआ है जिस्म में तन्हाइयों का ज़हर रग रग में जैसे सारी उदासी उतर गई Share on: