'फ़ैसल' मुकालिमा था हवाओं का फूल से By Sher << हर्फ़ अपने ही मआनी की तरह... चंद ख़ुशियों को बहम करने ... >> 'फ़ैसल' मुकालिमा था हवाओं का फूल से वो शोर था कि मुझ से सुना तक नहीं गया Share on: