फ़ज़ा में गूँज रही हैं कहानियाँ ग़म की By Sher << आँखें कहीं दिमाग़ कहीं दस... तलाश-ए-सूरत-ए-तस्कीं न कर... >> फ़ज़ा में गूँज रही हैं कहानियाँ ग़म की हमीं को हौसला-ए-शरह-ए-दास्ताँ न रहा Share on: