फ़ज़ा यूँही तो नहीं मल्गजी हुई जाती By Sher << कौन बदन से आगे देखे औरत क... तुम्हारा नक़्श इन आँखों स... >> फ़ज़ा यूँही तो नहीं मल्गजी हुई जाती कोई तो ख़ाक-नशीं होश खो रहा होगा Share on: