फ़ाख़ताएँ बोलती हैं बाजरों के देस में By Sher << हवा के दोश पर लगता है उड़... कभी सर पे चढ़े कभी सर से ... >> फ़ाख़ताएँ बोलती हैं बाजरों के देस में तू भी सुन ले आसमाँ ये गीत मेरे नाम का Share on: