हवा के दोश पर लगता है उड़ने By Sher << एक उलझन रात दिन पलती रही ... फ़ाख़ताएँ बोलती हैं बाजरो... >> हवा के दोश पर लगता है उड़ने जो पत्ता टूट जाता है शजर से Share on: