कश्ती-ए-ए'तिबार तोड़ के देख By Sher << घर में पहुँचा था कि आई नज... किसी जानिब नहीं खुलते दरी... >> कश्ती-ए-ए'तिबार तोड़ के देख कि ख़ुदा भी है ना-ख़ुदा ही नहीं Share on: