घर में पहुँचा था कि आई नज्द से आवाज़-ए-क़ैस By Sher << उन का आना हश्र से कुछ कम ... कश्ती-ए-ए'तिबार तोड़ ... >> घर में पहुँचा था कि आई नज्द से आवाज़-ए-क़ैस पाँव मेरा एक अंदर एक बाहर रह गया Share on: