'फ़रहत' सुनाऊँ किस को कहानी मैं गाँव की By Sher << आख़िरी बार आया था मिलने क... ज़रा ठहरो कि पढ़ लूँ क्या... >> 'फ़रहत' सुनाऊँ किस को कहानी मैं गाँव की घर घर में ज़िंदा लाशें थीं मजबूर माओं की Share on: