फ़स्ल-ए-गुल आते ही वहशत हो गई By Sher << ताब-ए-नज़्ज़ारा नहीं आइना... मैं चुप रहा कि वज़ाहत से ... >> फ़स्ल-ए-गुल आते ही वहशत हो गई फिर वही अपनी तबीअत हो गई Share on: