मैं चुप रहा कि वज़ाहत से बात बढ़ जाती By Sher << फ़स्ल-ए-गुल आते ही वहशत ह... ख़ुद अपने से मिलने का तो ... >> मैं चुप रहा कि वज़ाहत से बात बढ़ जाती हज़ार शेवा-ए-हुस्न-ए-बयाँ के होते हुए Share on: