ख़ाक-ए-'शिबली' से ख़मीर अपना भी उट्ठा है 'फ़ज़ा' By Sher << ग़ज़ल उस ने छेड़ी मुझे सा... सोचा था उन से बात निभाएँग... >> ख़ाक-ए-'शिबली' से ख़मीर अपना भी उट्ठा है 'फ़ज़ा' नाम उर्दू का हुआ है इसी घर से ऊँचा Share on: