फ़िक्र-ए-मआश ओ इश्क़-ए-बुताँ याद-ए-रफ़्तगाँ By Sher << कभी हाथ भी आएगा यार सच कह मकीं जब नींद के साए में स... >> फ़िक्र-ए-मआश ओ इश्क़-ए-बुताँ याद-ए-रफ़्तगाँ इन मुश्किलों से अहद-बरआई न हो सकी Share on: