फिर नई हिजरत कोई दरपेश है By घर, ख़्वाब, हिजरत, Sher << तकमील-ए-वफ़ा होश में मुमक... ख़म-ए-मेहराब-ए-अबरुवाँ के... >> फिर नई हिजरत कोई दरपेश है ख़्वाब में घर देखना अच्छा नहीं Share on: