फिर रेत के दरिया पे कोई प्यासा मुसाफ़िर By Sher << रात भर चाँद से होती रहें ... पत्थर जैसी आँखों में सूरज... >> फिर रेत के दरिया पे कोई प्यासा मुसाफ़िर लिखता है वही एक कहानी कई दिन से Share on: