फिर उस की याद ने दस्तक दिल-ए-हज़ीं पर दी By Sher << सतह-ए-दरिया का ये सफ़्फ़ा... मुझ सा अंजान किसी मोड़ पे... >> फिर उस की याद ने दस्तक दिल-ए-हज़ीं पर दी फिर आँसुओं में निहाँ उस के ख़द-ओ-ख़ाल हुए Share on: