'ग़ालिब' ओ 'मीर' 'मुसहफ़ी' By Sher << ज़ुल्फ़-ए-पुर-पेच के सौदे... याद और याद को भुलाने में >> 'ग़ालिब' ओ 'मीर' 'मुसहफ़ी' हम भी 'फ़िराक़' कम नहीं Share on: