फूल थे रंग थे लम्हों की सबाहत हम थे By Sher << ये मैं था या मिरे अंदर का... पूछा अगर किसी ने मिरा आ क... >> फूल थे रंग थे लम्हों की सबाहत हम थे ऐसे ज़िंदा थे कि जीने की अलामत हम थे Share on: