फूलों की ताज़गी ही नहीं देखने की चीज़ By Sher << शब-ए-फ़िराक़ की ज़ुल्मत ह... नैरंग-ए-इश्क़ आज तो हो जा... >> फूलों की ताज़गी ही नहीं देखने की चीज़ काँटों की सम्त भी तो निगाहें उठा के देख Share on: