फूलों की ताज़गी में उदासी है शाम की By Sher << एक रस्म-ए-सरफ़रोशी थी सो ... एक मैं हूँ और दस्तक कितने... >> फूलों की ताज़गी में उदासी है शाम की साए ग़मों के इतने तो गहरे कभी न थे Share on: