एक रस्म-ए-सरफ़रोशी थी सो रुख़्सत हो गई By Sher << क़फ़स से आशियाँ तब्दील कर... फूलों की ताज़गी में उदासी... >> एक रस्म-ए-सरफ़रोशी थी सो रुख़्सत हो गई यूँ तो दीवाने हमारे ब'अद भी आए बहुत Share on: