फ़ुसून-ए-शेर से हम उस मह-ए-गुरेज़ाँ को By Sher << बेहतर है अब दूर रहो तुम ट... हर शख़्स यहाँ गुम्बद-ए-बे... >> फ़ुसून-ए-शेर से हम उस मह-ए-गुरेज़ाँ को ख़लाओं से सर-ए-काग़ज़ उतार लाए हैं Share on: