गई थी कह के मैं लाती हूँ ज़ुल्फ़-ए-यार की बू By Sher << इश्क़ की चोट का कुछ दिल प... इक रात दिल-जलों को ये ऐश-... >> गई थी कह के मैं लाती हूँ ज़ुल्फ़-ए-यार की बू फिरी तो बाद-ए-सबा का दिमाग़ भी न मिला Share on: